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चिट्टे को जड़ से खत्म करने के लिए सरकार को सख्त कदम उठाने चाहिए: अधिवक्ताओं का बयान

धर्मशाला: राज्य सरकार और उनके प्रतिनिधियों को चिट्टे समेत सभी प्रकार के नशों को जड़ से समाप्त करने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए। न केवल चिट्टा बल्कि नशा तस्करों के बड़े गिरोह और सरगनाओं पर भी सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। यह बात कांगड़ा बार ऐसोसिएशन के सदस्यों ने राज्य सरकार से की। अधिवक्ताओं ने इस मुद्दे पर सरकार के साथ अपने सहयोग की पुष्टि की, लेकिन साथ ही विधायक भवानी सिंह पठानिया द्वारा सदन में वकीलों को निर्देश देने पर आपत्ति भी जताई।

कांगड़ा बार ऐसोसिएशन के मीडिया सलाहकार, एडवोकेट विश्व चक्षु ने कहा कि चिट्टा और अन्य नशों का विरोध करना चाहिए, लेकिन विधायक को सदन में वकीलों को यह बताने का अधिकार नहीं है कि उन्हें कौन सा केस लेना चाहिए और कौन सा नहीं। उन्होंने भारतीय अधिवक्ता अधिनियम, 1961 का उल्लेख करते हुए कहा कि यह अधिनियम वकीलों को अदालतों में अपनी कर्तव्यों को निभाने का अधिकार देता है।

चक्षु ने कहा कि यदि चिट्टे की समस्या को रोकना है तो बड़े सरगनाओं और तस्करों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए, न कि वकीलों को यह सिखाने की कोशिश की जाए कि वे किस प्रकार के केसों से बचें। वकील समाज का एक सम्मानित वर्ग हैं, जो न्यायालयों में हर व्यक्ति की न्याय की लड़ाई लड़ते हैं, चाहे वह आरोपी हो या बेगुनाह।

उन्होंने यह भी कहा कि यदि विधायक चिट्टे के मामलों के खिलाफ बोलते हैं, तो उन्हें यह घोषणा करनी चाहिए कि वकील एनडीपीएस के केस न लें, और इसके बदले वकीलों को अपनी सैलरी दें, ताकि उनका परिवार भी सही तरीके से जीवन यापन कर सके। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि वकील चिट्टे के आरोपियों के खिलाफ भी मुकदमा लड़ते हैं, और अगर कोई बेगुनाह चिट्टे के आरोप में फंस जाता है, तो क्या कोई नेता उसे बचाने जाएगा?

इस प्रकार, अधिवक्ताओं ने न्याय की प्रक्रिया और उनके अधिकारों का बचाव करते हुए, सरकार से चिट्टे और अन्य नशे के खिलाफ ठोस कदम उठाने की अपील की है।

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