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मुख्यमंत्री सुक्खू का बड़ा फैसला: अनुशासनहीन अफसरों पर गिरी गाज, नौकरशाही को सख्त संदेश

शिमला। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने एक बार फिर अपने निर्णायक और सशक्त नेतृत्व का परिचय देते हुए राज्य में फैले प्रशासनिक विवाद पर सख्त कदम उठाए हैं। हिमाचल प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन के चीफ इंजीनियर विमल नेगी की संदिग्ध मौत की जांच को लेकर उठे विवाद के बाद मुख्यमंत्री ने तीन वरिष्ठ अधिकारियों पर बड़ी कार्रवाई की है, जिससे यह स्पष्ट हो गया है कि सुक्खू सरकार में अनुशासनहीनता किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

पिछले एक सप्ताह से चल रहे विवाद ने सरकार की छवि को प्रभावित किया था। अधिकारियों की बयानबाजी मीडिया की सुर्खियों में रही और अफसरशाही में टकराव की स्थिति बन गई थी। लेकिन जैसे ही मुख्यमंत्री सुक्खू दिल्ली दौरे से लौटे, उन्होंने पूरी स्थिति का आकलन किया और सबकी राय लेने के बाद 24 घंटे में सख्त निर्णय लेते हुए तीनों विवादित अफसरों पर कार्रवाई कर दी।

मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि प्रदेश सरकार अदालत के निर्णय का सम्मान करती है और विमल नेगी मामले की जांच अब सीबीआई को सौंपी जाएगी। साथ ही, सरकार इस निर्णय के खिलाफ कहीं अपील नहीं करेगी।

ये हुई कार्रवाई:

  • एसीएस ओंकार शर्मा से सभी विभाग वापस ले लिए गए और उनके विभाग केके पंत, राखी कहलों और संदीप कदम को सौंप दिए गए।
  • डीजीपी अतुल वर्मा को अवकाश पर भेज दिया गया और उनकी जगह अशोक तिवारी को कार्यवाहक डीजीपी का जिम्मा सौंपा गया।
  • शिमला एसपी संजीव गांधी को पद से हटाकर सोलन एसपी गौरव सिंह को शिमला का नया एसपी बनाया गया।

गौरतलब है कि अदालत में पेश की गई रिपोर्टों में तीनों अधिकारियों—एसीएस ओंकार शर्मा, डीजीपी अतुल वर्मा और शिमला एसपी संजीव गांधी—की जांच रिपोर्टों में भारी अंतर पाया गया था, जिसके बाद यह विवाद और गहरा गया। डीजीपी वर्मा ने जहां एसआईटी जांच पर सवाल उठाए, वहीं एसपी गांधी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर डीजीपी, मुख्य सचिव और पूर्व डीजीपी पर गंभीर आरोप लगाए।

मुख्यमंत्री ने प्रेस वार्ता में न केवल एसीएस की रिपोर्ट की निष्पक्षता पर सवाल उठाए, बल्कि यह भी कहा कि रिपोर्ट में जिन पर आरोप लगे हैं, उनका पक्ष ही नहीं शामिल किया गया। इससे यह साफ हो गया कि सरकार इस मामले को गंभीरता से ले रही है।

मुख्यमंत्री का संदेश साफ: “यह सुक्खू सरकार है। यहां अनुशासनहीनता, पक्षपात और गैर-जिम्मेदाराना रवैया कतई स्वीकार नहीं किया जाएगा। सभी अधिकारियों को सेवा नियमों का पालन करते हुए निष्पक्षता और ईमानदारी से काम करना होगा।”

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