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संस्थाएं बंद, पहले स्कूल, फिर ऑफिस और अब होटल

शिमला. मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू हजारों करोड़ के कर्ज में दबे हिमाचल प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाने के संकल्प के साथ कदम बढ़ा रहे हैं। जिसमें सरकार की आय बढ़ाने और खर्चों को कम करने के लिए कठोर निर्णय लेने पड़ रहे हैं। इसी कड़ी में सरकार अनुपयोगी और सरकार पर आर्थिक रुप से बोझ बनी सरकारी संस्थाओं को बंद करने का निर्णय ले रहे हैं। प्रदेश के कांग्रेस सरकार बनने के बाद ही मुख्यमंत्री ने पूर्व भाजपा सरकार के समय आनन-फानन में खोले गए विभिन्न विभागों के कार्यालयों को डिनोटिफाई किया। जिसका कारण था कि इन आफिसों की आवश्यकता नहीं थी, लेकिन भाजपा सरकार ने चुनावों के समय राजनैतिक लाभ लेने के लिए खोले हैं। इसी कड़ी में सरकार ने स्कूलों को भी बंद किया और अब घाटे में चल रहे पर्यटन निगम के होटलों को भी निजी हाथों में देने का निर्णय लिया है। जिससे सरकार पर आर्थिक बोझ कम हो और होटलों से आय हो।
मुख्यमंत्री ने शिक्षा में गुणवत्ता को ध्यान में रखकर कम बच्चों वाले स्कूलों को बंद करने का निर्णय लिया। मुख्यमंत्री का मानना है कि जिन स्कूलों में बच्चे ही नहीं है या बहुत कम बच्चे हैं, उनको बंद किया जाए और उन क्षेत्रों के बच्चों को नजदीक के स्कूलों में बेहतर शिक्षा दी जाए। इस कड़ी में सरकार ने कम संख्या वाले 618 स्कूलों को बंद, मर्ज और डाउन ग्रेड करने का निर्णय लिया। आश्चर्य की बात यह है कि प्रदेश में 103 स्कूल तो ऐसें पाए गए जहां बच्चों की संख्या जीरो थी। इन स्कूलों को पूरी तरह बंद करने का निर्णय लिया। इसके साथ ही कम संख्या वाले 443 स्कूलों का मर्ज करने और 75 स्कूलों का दर्जा कम करने का निर्णय लिया। स्कूलों को बंद और मर्ज करने के निर्णय से करीब 1100 के करीब टीचर सरप्लस होंगे जिनको दूसरे स्कूलों में ट्रांसफर कर बेहतर शिक्षा का प्रबंध किया जाएगा।
इस तरह सरकार ने पूर्व भाजपा सरकार के समय लोक निर्माण विभाग, जल शक्ति विभाग, बिजली विभाग सहित अन्य विभागों के खोले के कार्यालयों को भी डिनोटिफाई किया। सरकार का मानना है कि अभी इन कार्यालयों कि उन क्षेत्रों में जरुरत नहीं है। भाजपा ने राजनैतिक लाभ के लिए कार्यालयों को खोलने की अधिसूचना जारी की है। मुख्यमंत्री ने कहा कि डिनोटिफाई किए गए कार्यालयों के बारे में फिर से अध्ययन होगा और जहां आवश्यकता होगी, वहां कार्यालय खोले जाएंगे। सरकार ने अभी हाल ही में धर्मशाला में स्थित सिविल सप्लाई विभाग के क्षेत्रीय कार्यालय को भी बंद करने का निर्णय लिया है। वहां कार्यरत कर्मचारियों के तबादले किए गए और जो पद खाली थे, उनको समाप्त कर दिया है।
अब सरकार ने आर्थिक रुप से बोझ बने करोड़ों के घाटे में चल रहे पर्यटन निगम के 14 होटलों को बंद कर संचालन और मेंटनेंस के लिए निजी हाथों में सौंपने का निर्णय लिया है। सरकार का मानना है कि होटलों को निजी हाथों में सौंपने से सरकार पर पड़ रहा आर्थिक बोझ खत्म् होगा और निगम को आय भी होगी।
भाजपा लगातार कर रही स्कूल और कार्यालय बंद करने का विरोध
प्रदेश में कांग्रेस सरकार बनने के बाद लगातार सरकारी कार्यालयों और स्कूलों को बंद किया जा रहा है। पूर्व भाजपा सरकार के द्वारा खोले गए कार्यालयों को डिनोटिफाई कर दिया गया है। जिससे भाजपा नेता सरकार पर लगातार आरोप लगा रहे हैं कि सरकार विकास तो कर नहीं रही है लेकिन जनता के सुविधा के लिए भाजपा ने जो कार्यालय खोले थे, उन्हें राजनैतिक द्वेष के कारण बंद कर रही है। स्कूल बंद करने का भी भाजपा लगातार विरोध कर रही है। भाजपा का कहना है कि सरकार ने बच्चों को घर के पास बेहतर शिक्षा देने के लिए स्कूलों को खोला था लेकिन अब कांग्रेस सरकार बंद कर रही है जिससे ग्रामीण क्षेत्र के बच्चे शिक्षा से वंचित हो रहे हैं। इस तरह सरकारी कार्यालय, स्कूल और अब होटलों को लीज पर देने के सरकार के निर्णय का भाजपा लगातार विरोध कर रही है

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