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लोकसभा ने मणिपुर में राष्ट्रपति शासन की पुष्टि की, अमित शाह ने शांति बहाली के प्रयासों पर दिया बयान

नई दिल्ली, 3 अप्रैल 2025: लोकसभा ने गुरुवार को मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू करने की पुष्टि करते हुए एक वैधानिक प्रस्ताव पारित किया। यह राष्ट्रपति शासन 13 फरवरी को लागू किया गया था और उच्चतम न्यायालय के निर्देशानुसार दो महीने के भीतर इसकी पुष्टि आवश्यक थी।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस संकल्प को सदन में पेश किया और कहा कि राज्य में अशांति के कारण मुख्यमंत्री ने इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद, राज्यपाल ने विधायकों से परामर्श किया, लेकिन कोई भी दल सरकार बनाने की स्थिति में नहीं था, जिसके चलते कैबिनेट ने राष्ट्रपति शासन की सिफारिश की और इसे मंजूरी दे दी गई।

“मणिपुर में हालात नियंत्रण में” – अमित शाह

संसद में बहस के दौरान विपक्ष ने भाजपा सरकार की आलोचना की, लेकिन अमित शाह ने सरकार की स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा, “हमने राज्य में शांति बहाल करने के लिए हर संभव कदम उठाए हैं। पिछले चार महीनों में मणिपुर में कोई हिंसा नहीं हुई है। स्थिति संतोषजनक नहीं, लेकिन नियंत्रण में है।”

260 से अधिक लोगों की मौत, हिंसा पर सरकार का रुख

गृह मंत्री ने जानकारी दी कि राज्य में जारी जातीय संघर्ष में अब तक कम से कम 260 लोगों की मौत हो चुकी है। उन्होंने यह भी बताया कि मणिपुर उच्च न्यायालय के एक आदेश के बाद यहां दंगे भड़क उठे थे।

उन्होंने कहा, “जिस दिन आदेश आया, हमने तुरंत हवाई मार्ग से केंद्रीय बल भेजे। हमारी तरफ से कोई देरी नहीं हुई।” उन्होंने 1990 के दशक के नागा-कुकी संघर्ष और अन्य हिंसक घटनाओं का हवाला देते हुए बताया कि इससे पहले भी मणिपुर में जातीय संघर्ष हुए हैं, लेकिन केंद्र सरकार ने इस बार त्वरित कार्रवाई की है।

विपक्ष को राजनीति न करने की नसीहत

गृह मंत्री ने विपक्ष से इस मुद्दे पर राजनीति न करने की अपील की और कहा कि सरकार की प्राथमिकता मणिपुर में शांति बहाल करना, विस्थापितों का पुनर्वास करना और प्रभावित लोगों की मदद करना है।

मणिपुर में हिंसा के बाद से सरकार लगातार स्थिति पर नजर बनाए हुए है और अब राष्ट्रपति शासन की पुष्टि के बाद केंद्र की भूमिका और अधिक महत्वपूर्ण हो गई है।

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