हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को डंपिंग साइट्स की पहचान को लेकर दी कड़ी चेतावनी

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्माण परियोजनाओं के दौरान मलबा फेंकने के लिए उचित डंपिंग साइट्स की पहचान करने का सख्त निर्देश दिया है। अदालत ने चेतावनी दी कि यदि इस संबंध में लापरवाही बरती गई तो यह राज्य की नाजुक भौगोलिक संरचना और लोगों की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बन सकती है।
मुख्य न्यायाधीश गुरमीत सिंह संधावलिया और न्यायाधीश रंजन शर्मा की खंडपीठ ने कहा कि डंपिंग साइट्स का चयन करते समय यह सुनिश्चित किया जाए कि मलबा निजी भूमि, नालों, जल निकायों, वन क्षेत्रों और जलग्रहण क्षेत्रों में न गिरे।
न्यायालय ने निजी ठेकेदारों को भी इन आदेशों का कड़ाई से पालन करने के निर्देश दिए। अदालत ने टिप्पणी की कि बिना सोचे-समझे डंप किया गया मलबा और कचरा फिसलने की प्रवृत्ति रखते हैं, जो निचले इलाकों में रहने वाले लोगों और उनकी जमीनों के लिए संभावित आपदा बन सकते हैं।
यह निर्देश जिला चंबा के गांव मोटला से जुड़ी एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान आया। याचिकाकर्ता संजीवन सिंह ने अदालत से शिकायत की थी कि मोटला से सुखीयार तक 9 किलोमीटर लंबी लिंक रोड के निर्माण के दौरान मलबे को अनुचित तरीके से डंप किया जा रहा है।
सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने जिला कानूनी सेवा प्राधिकरण, चंबा के सचिव को साइट निरीक्षण करने का आदेश दिया। साथ ही एसडीएम, भटियात को निर्देश दिया गया कि वे हलफनामा दाखिल कर बताएं कि मलबा हटाने के लिए मांगी गई ₹92,96,440 की राशि जारी की गई है या नहीं।