लोकसभा में आधी रात पारित हुआ वक्फ संशोधन विधेयक, विपक्ष के सभी संशोधन खारिज

नई दिल्ली, 3 अप्रैल 2025: लोकसभा ने बुधवार आधी रात को वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 पारित कर दिया। विधेयक के पक्ष में 288 वोट पड़े, जबकि 232 सांसदों ने विरोध में मतदान किया। मोदी सरकार के लिए यह एक महत्वपूर्ण परीक्षा थी, जिसमें एनडीए ने पूरी एकजुटता दिखाई।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने विपक्ष पर आरोप लगाया कि वे इस कानून को स्वीकार करने से इनकार कर रहे हैं, लेकिन यह संसद द्वारा पारित कानून होगा और सभी को इसे मानना होगा। उन्होंने कहा कि “वोट बैंक की राजनीति के तहत यह अफवाह फैलाई जा रही है कि वक्फ विधेयक मुस्लिम समुदाय के धार्मिक मामलों और उनकी संपत्तियों में दखल देगा, जबकि ऐसा बिल्कुल नहीं है।”
“यह इस्लाम विरोधी नहीं” – सरकार की सफाई
विपक्षी दलों द्वारा उठाई गई आपत्तियों का जवाब देते हुए केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने स्पष्ट किया कि यह विधेयक किसी भी तरह से मुस्लिम विरोधी या इस्लाम विरोधी नहीं है। उन्होंने कहा, “अगर यह असंवैधानिक होता, तो अदालत इसे रद्द कर देती। विपक्ष को इस तरह के शब्दों का हल्के में इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।”
विपक्ष की आपत्तियां खारिज, ओवैसी ने उठाए सवाल
बहस के दौरान एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने सवाल उठाया कि “अगर मुसलमानों के बच्चों के लिए वक्फ में प्रावधान किया जा रहा है, तो हिंदुओं के लिए कोई प्रावधान क्यों नहीं है?” इस पर रिजिजू ने जवाब दिया कि हिंदुओं के लिए पहले से प्रावधान मौजूद हैं, इसलिए अलग कानून की जरूरत नहीं है।
वक्फ संपत्तियों में घोटाले रोकने पर जोर
गृह मंत्री अमित शाह ने वक्फ संपत्तियों में घोटाले को रोकने की सरकार की मंशा साफ करते हुए कहा, “वक्फ बोर्ड इस चोरी को रोकने का काम करेगा। विपक्षी दल इस पर हिसाब-किताब नहीं रखना चाहते, लेकिन यह पैसा देश के गरीबों के लिए है, न कि कुछ लोगों के लिए इसे हड़पने का जरिया बनने दिया जाएगा।”
उन्होंने दावा किया कि विधेयक के कानून बनने के चार साल के अंदर मुस्लिम समुदाय को समझ आ जाएगा कि यह उनके ही हित में है।
दक्षिण भारत में चर्च को नाराज करने का आरोप
अमित शाह ने द्रमुक (DMK) समेत दक्षिण भारतीय दलों पर निशाना साधते हुए कहा कि वे “विधेयक का विरोध करके अपने क्षेत्रों में चर्च और अन्य धार्मिक संगठनों को नाराज कर रहे हैं।”
लोकसभा में पारित होने के बाद अब यह विधेयक राज्यसभा में चर्चा और मंजूरी के लिए जाएगा, जहां इसके भविष्य को लेकर राजनीतिक सरगर्मी और बढ़ सकती है।